इस पोस्ट में इंटर रसायनशास्त्र के 5 महत्पूर्ण लघु उतरिये प्रश्न दिया गया जो बोर्ड एग्जाम के लिए काफी ज्यादा इम्पोर्टेन्ट है, तो पोस्ट को पूरा पढ़े।
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प्रदार्थो की अवस्थाएँ
द्रव्य वाह सामग्री है जिसमें भार हो, जो स्थान ग्रहण करें, जो दबाव डाले सके एवं अवरोध उत्पन्न करें सके जिसमें जङता का गुना हो जिसकी अवस्था में उर्जा द्वारा परिवर्तन लाया जा सके जो विभाजित किया जा सके तथा जिसके अस्तित्व का हम अपनी ज्ञानेंद्रियां द्वारा अनुभव कर सकें।
- प्रदार्थ ( substance ) :- द्रव के विभिन्न प्रकार को पदार्थ कहते हैं। आता पदार्थ एक विशेष प्रकार का द्रव है जो निश्चित गुण एवं संघटन वाला होता है।
- जैसे :- कागज ,लकड़ी, मिट्टी ,लोहा, मोम, जल ,दूध ,वायु ,ऑक्सीजन ,संगमरमर चुना आदि।
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- वस्तु ( object ) :- एक पदार्थ या अनेक पदार्थों के मिश्रण से बनने वाली विशेष गुल वाली सामग्री को वस्तु कहते हैं।
- जैसे :- पुस्तक, पेंसिल, नाउ ,वायुयान ,चौक, ब्लेड, थाली, गिलास ,,पेंट ,,कमीज अंगूठी, आदि।
NOTE :- संसार की सभी वस्तुएं द्रवों अर्थात पदार्थों से बनी है।
आधुनिक विज्ञान में पदार्थ को दो मुख्य प्रकार से विभाजित किया गया है।
- भौतिक अवस्था के आधार पर उदाहरण – ठोस, द्रव्य एवं गैस और
- रासायनिक संघटन के आधार पर उदाहरण- तत्व, यौगिक एवं मिश्रण।
पदार्थों की भौतिक अवस्थाएँ (Physical States of Substances): – भौतिक अवस्था के आधार पर पदार्थों को तीन वर्गों में बांटा गया है। ये तीन वर्ग हैं—ठोस (Solid), द्रव (Liquid) तथा गैस (Gas)। दूसरे शब्दों में पदार्थ इन्हीं तीन अवस्थाओं में रहते हैं। किसी पदार्थ की अवस्था (ठोस, द्रव या गैस) उसके अन्तराण्विक बल (Intermolecular Force) पर निर्भर करती है।
*ठोस (Solid) :- ठोस पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें उसके आकार एवं आयतन निश्चित होते हैं।
जैसे—कुर्सी, मेज, ईंट, पत्थर की मूर्ति, दवात, कलम, तांबा आदि। जब पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल पृथक्कारी बल से सबल होता है, तो पदार्थ ठोस अवस्था में रहता है।
इस प्रकार ठोस पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल सबल होता है। सबल आकर्षण बल के कारण ठोस पदार्थों के अणु घने रूप से संकुलित (एक दूसरे के बिल्कुल समीप) होते हैं।
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तथा उनकी स्थितियाँ निश्चित होती हैं। इन्हीं स्थितियों के इर्द-गिर्द ये सिर्फ अपने अन्तराण्विक अन्तराल में कम्पन करते रहते हैं, जब तक उन पर बाहर से कोई बल नहीं लगाया जाता है। इसी कारण से ठोस पदार्थों के आकार और आयतन निश्चित होते हैं। ठोसों के कण आपस में अत्यधिक निकट होते हैं, इस कारण इनमें उच्च घनत्व और असंपीड्यता होती है। ठोसों में कणों के उच्च क्रम में व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं, जिसके फलस्वरूप क्रिस्टलों की एक नियमित ज्यामितीय आकृति होती है।
*द्रव (Liquid):- द्रव पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें उसका आयतन निश्चित होता है, परन्तु आकार अनिश्चित होता है, जैसे दूध, पानी, तेल, शराब आदि। द्रव पदार्थ की सभी स्थितियों में ऊपरी सतह हमेशा समतल होती है। द्रव पदार्थ को बहने वाला द्रव (Fluid) भी कहते हैं। जब पदार्थ में आकर्षण बल पृथक्कारी बल से कुछ ही सबल होता है, तो पदार्थ द्रव अवस्था में रहता है। इस तरह द्रव पदार्थ के अणुओं में परस्पर आकर्षण बल ठोस अवस्था की अपेक्षा कमजोर होता है।
इसी कारण द्रव पदार्थों में अणु कम घने रूप में संकुलित होते हैं तथा ये गति करने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं। परन्तु, ये अणु पदार्थ के अंदर ही इधर-उधर गति कर सकते हैं। द्रव पदार्थ के अणु ठोस पदार्थ की अपेक्षा दूर-दूर रहते हैं। फिर भी, इनके बीच की दूरी बहुत अधिक नहीं होती है। अतः द्रव पदार्थ अपना आकार असानी से बदल सकते हैं, परन्तु उनका आयतन नहीं बदलता है। इसी कारण द्रव पदार्थ का आयतन निश्चित, परन्तु आकार अनिश्चित होता है। द्रव पदार्थ का घनत्व गैस से अधिक किन्तु ठोस से कम होता है।
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*गैस (Gas):- गैस पदार्थ की वह अवस्था है, जिसमें उसके आकार और आयतन दोनों अनिश्चित होते हैं, जैसे—वायु, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, क्लोरीन आदि। गैस अवस्था में पदार्थ का न तो कोई आकार होता है।
और न कोई आयतन। गैसीय पदार्थ को जिसज दिया जाता है, वह उसी का आकार एवं आयतन ग्रहण कर लेता है। गैस का कोई पृष्ठ कल नहीं होता है। गैस नहीं द्रव की भांति एक बर्तन से दूसरे बर्तन में डाली जा सकती है।
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