इंटर भौतिकी इंपोर्टेंट प्रश्न बिहार बोर्ड के लिए, बिहार बोर्ड से जितने भी स्टूडेंट एग्जाम देंगे उन सभी के लिए बहुत की के इंपॉर्टेंट पांच महत्वपूर्ण प्रश्न दिया गया है। किस आर्टिकल के जरिए। Inter physics subjective
1 . आवेश किसे कहते है?
आवेश ( charge) :- आवेश किसी पदार्थ का व मूल गुण है जो अपने चारों और द्वितीय तथा चुंबकीय प्रभाव से उत्पन्न करता है।
( अथवा )
आवेश ( charge) :- आवेश किसी पदार्थ का व गुण है जो किसी अन्य वस्तु पर आकर्षण या वेकेशन बल का अनुभव करता है। इसे Q या q से सूचित किया जाता है।
Ex:-
प्लास्टिक एक कलम को बाल से रगड़ने पर यह कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों को ऊपरी और आकर्षित कर लेता है।
2 . आवेश का संकल्पना क्या है?
आवेश का संकल्पना इलेक्ट्रॉन के आधार पर किया जाता है यदि किसी वस्तु पर धन आवेश होता है तो वह इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है। यदि किसी वस्तु पर ऋण आवेश होता है तो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है।
*सभी पदार्थ परमाणु में से मिलकर बनता है परमाणु विद्युत उदासीन होता है। क्योंकि परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटोन की संख्या परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के बराबर होती है।
* सभी वस्तुएं उदासीन होती है। क्योंकि इसमें इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन की संख्या बराबर होती है।
* ब्रह्मांड का ही नेट आवेश शुन होता अर्थ है अर्थात उदासीन होता है।
* प्रोटॉन परमाणु के नाभिक में स्थित होता है। क्योंकि नाभिक में दो प्रोटॉन के बीच ट्रैवल नाभिकीय बल लगता है।
* प्रोटॉन का द्रव्यमान (MP ) इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान ( ME) से 1837 ईस्वी में गुण ज्यादा है।
3 . आवेश दो प्रकार के होते हैं।
(¡) धन आवेश ( positivs charge )
(¡¡) ऋण आवेश ( negative charge )
(¡) धन आवेश ( positivs charge ) : – किसी वस्तु पर धन आवेश उसकी समान अवस्था से इलेक्ट्रॉन की कमी को प्रदर्शित करता है।
(¡¡) ऋण आवेश ( negative charge ) :- किसी वस्तु पर रीना वेस्ट उसकी सामान्य अवस्था से इलेक्ट्रॉनों की अधिकता को प्रदर्शित करता है।
*महत्वपूर्ण बिंदु ( Importent point )*
- धन आवेश इलेक्ट्रॉन की कमी को कहते हैं।
- ऋण आवेश इलेक्ट्रॉन के वृद्धि को कहते हैं।
- धनाआवेशित कण इलेक्ट्रॉनों का त्याग करता है। तथा ऋण आवेश कान इलेक्ट्रॉनों का ग्रहण करता है।
- आवेश अचर होता है। अर्थात यह व्यक्ति पर निर्भर नहीं करता है। प्रांतों द्रव्यमान वेग पर निर्भर करता है।
4 पदार्थों का वर्गीकरण क्या है?
आवेशों के आधार पर पदार्थों को निम्नलिखित आधार पर बांटा गया है।
(¡) चालक ( conductar )
(¡¡) विद्युत रोधी या आचालक ( Insulator )
(¡¡¡) अर्धचालक ( semiconductar )
(¡¡¡¡) अतिचालक ( super conductar)
(¡) चालक ( conductar ) :- वह पदार्थ जो आसानी से अपने में से होकर विघुत को प्रवाहित होने देता है वह चालक कहलाता है। इसे धातु भी कहा जाता है।
Ex:-
सभी धातुएं, मानव तथा जंतु, शरीर , पृथ्वी , इलेक्ट्रोलाइट।
* इन पदार्थों में एसी विघुत आवेश मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं। जो अपेक्षाकृत चालक की गति करने के लिए स्वतंत्र होते हैं।
(¡¡) विद्युत रोधी या आचालक ( Insulator ) :- वह पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत प्रवाहित नहीं होने देते हैं। आचालक या कुचालक या विद्युत रोधी पदार्थ कहलाता है।
Ex:-
अधिकांश धातु , रब्बर , नायलॉन , प्लास्टिक सुखा लकड़ी ।
Note:- ग्रेफाइट आधा तो होते हुए भी चालक की भांति व्यवहार करता है।
* अधिकांश अधातुएँ अपने से होकर प्रवाहित होने वाले विद्युत पर उच्च प्रतिरोध लगाते हैं।
(¡¡¡) अर्धचालक ( semiconductar ) :- वैसा पदार्थ जिससे होकर विद्युत का प्रवाह चालक एवं आ चालक के बीच देता है अर्धचालक कहलाता है।
Ex:- सिलिकॉन ( Si ) , जर्मेनियम ( Ge )
,*उच्च तापमान पर अर्धचालक की तरह व्यवहार करता है।
* अर्धचालक को देने पर उसके प्रतिरोध में कमी आती है।
Inter physics subjective
(¡¡¡¡) अतिचालक ( super conductar) :- वैसा पदार्थ जिससे विद्युत प्रवाहित होने पर उर्जा है ह्रास नहीं होता है। उसे अतिचालक कहा जाता है। तथा प्रतिरोध शून्य होता है।
5 बिंदु आवेश क्या है।
बिंदु आवेश ( point charge ) :- वैसा वैष्णो अपने आकार से ज्यादा दूरी पर रखें जाते हैं तथा एक दूसरे के बीच अन्योंन्य प्रतिक्रिया अनुभव करते हैं। पूछे बिंदु आवेश कहा जाता है।
* दो बिंदु आवेशों के बीच बालक का परिमाप बराबर तथा दिशा विपरीत होता है।
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